*** शुक्रगुजार हूँ ***
• शुक्रगुजार हूँ, मैं ज़ेल का
क्या से क्या बना दिया
• दरिया किनारे बैठकर
मौजों से डरता था
• मौजों को पार करने का
हुनर सिखा दिया
• मेरी औकात क्या है कि
मैं कोई बात कह सकूं
• किसी ने अपराधी बनाकर
भेजा था “चुन्नू”
• और इसने ‘कवि’ बना दिया
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ(उ.प्र.)