शीशा टूट के बिखर गया होगा
जो पत्थर उछलकर गया होगा
शीशा टूट के बिखर गया होगा
वो कुछ तो सोचकर गया होगा
या शायद जी भर गया होगा
वो बेवफा लगता तो नहीं है
इस ज़माने से डर गया होगा
मंज़िल तक नहीं पहुंचा अभी
रास्ते में कहीं ठहर गया होगा
जो पत्थर उछलकर गया होगा
शीशा टूट के बिखर गया होगा
वो कुछ तो सोचकर गया होगा
या शायद जी भर गया होगा
वो बेवफा लगता तो नहीं है
इस ज़माने से डर गया होगा
मंज़िल तक नहीं पहुंचा अभी
रास्ते में कहीं ठहर गया होगा