शीर्षक:- स्मरण शिखर के संघर्ष का
शीर्षक:- स्मरण शिखर के संघर्ष का
छीनी है उसने हाथ से इस वास्ते क़लम…!
वो जानता था दास्ताँ सच्ची लिखेगें हम…….!!
” ” कविता” ”
भूले नहीं हम दुर्गम, ऊंचे प्रखर, प्रस्तर, पाषाणों को!
माह मई सन् निनानवे जिन पर खेला होली को!!
करगिल केवल युद्ध नहीं, वीरों की अमर कहानी है!
घाटी में लड़ा हर वीर सपूत, माँ भारत का सेनानी है!!
मिग-27 संग नचिकेता, अमरीकी जेट जला गया!
मातृभूमि की बलिवेदी पर, प्राणों को तिल-तिल चढ़ा गया!!
देख शहादत की लाशो को, ह्रदय सभी का डोल गया!
माँ भारती के वीर सपूतों का, जलवा जगत में बोल गया!!
मारा जाना जरूरी था, गजनी के निर्दयी चूहों को!
घाटी में घात लगा बेठे गजनी के सरदारों को!!
लेकिन तुमको भूल गए जो, वो किस्मत के मारे है!
कुछ लोगों को आतंकी, बुरहान कन्हेया प्यारे हैं!!
आज तुम्हारी कुर्बानी के प्रष्ट टटोले जाते हैं!
भारत की बर्बादी वाले नारे बोले जाते हैं!!
कवि जीवन अबोध मगर बलिदानी गाथा गायेगा!
सदा शहीदों की यादों का दिल में दीप जलाएगा!!
सदा शहीदों की यादों का दिल में दीप जलाएगा!!!