शीर्षक – स्नेह
शीर्षक-स्नेह!
मेरा स्नेह हृदय में है,
सिर्फ तेरे लिए।
जिसकी महक पुष्पों सी
उसको सम्हालें हूँ
सिर्फ तेरे लिए!
मेरा स्नेह अपार है,
सिर्फ तेरे लिए।
जब भी जीवन में हारी
तुम साहस बन जाते हो
सिर्फ मेरे लिए?
मेरा स्नेह एक वृक्ष है,
सिर्फ तेरे लिए।
जब भी जीवन में तपती हूँ
तुम छाया बन जाते हो।
सिर्फ मेरे लिए!
मेरा स्नेह नदिया है,
सिर्फ तेरे लिए।
सरिता जैसी कल-कल बहती हूँ
तुम सागर बन जाते हो।
सिर्फ मेरे लिए?
सुषमा सिंह*उर्मि,,