शीर्षक :- सुन लो अरज हमारी – डी के निवातिया
दिनांक : १ मार्च २०२२
दिवस : मंगलवार
विधा : गीत वंदना
विषय : आरती
शीर्षक :- सुन लो अरज हमारी
ओम नमो: कैलाशपति, नमो: नमो: भयहारी,
शरण तुम्हारी हम आये, सुन लो अरज हमारी,,,,!!!
भंवर फसी हमारी जीवन नैया,
आकर पार लगाओ,
विध्न हरो हमारी पीड़ा समझो,
अब तो दरस दिखाओ,
हे विषधर, हे गंगाधर
हे महाकाल जटाधारी !!
शरण तुम्हारी हम है आये, सुन लो अरज हमारी,,,,!!
पल पल जपते नाम तुम्हारा,
संकट में एक तुम ही सहारा,
भर भर झोली देते तो सबको
कब दोगे तुम दर्शन हमको,
हे जगपालक, हे शशि शेखर,
हे भूपसुर त्रिपुरारी !!
शरण तुम्हारी हम है आये, सुन लो अरज हमारी,,,,!!!
चरण तुम्हारे गिरा ये सवाली,
अब न जाऊंगा दर से खाली,
तुम ही हो सबके पालनहारा
जीवन अपना ये तुम पर वारा
हे ! सोमप्रिय, हे ! भुजंगभूषन,
हे ! गृहपति अवतारी !!
शरण तुम्हारी हम है आये, सुन लो अरज हमारी,,,,!!!
हार कर हालतों से हारा नहीं हम,
जब तक तुम, बेसहारा नहीं हम
तुम सर्वज्ञ, हम दुर्बल अज्ञानी
किस से कहे हम अपनी कहानी,
हे वामदेव, हे विष्णुवल्ल्भ
हे जलज नयन भयहारी !!
शरण तुम्हारी हम है आये, सुन लो अरज हमारी,,,,!!!
ओम नमो: कैलाशपति, नमो: नमो: भयहारी,
शरण तुम्हारी हम आये, सुन लो अरज हमारी,,,,!!!
स्वरचित : डी के निवातिया