शीर्षक -श्रीराम की बाल लीला!
शीर्षक -श्रीराम की बाल लीला!
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जग के स्वामी अंतर्यामी श्रीराम,
सुमिरन करते सब तेरा ही नाम।
अवतार लिए अवध में तो,
मातु-पिता हृदय से हुलस पड़े।
अवध के वासी खुश होकर,
कौशल्या के सब द्वार खड़े।।
आज जागे हैं भाग्य हमारे,
कौशल्या मन में मुस्काएँ।
पुलकित होती माँ कौशल्या,
देख श्रीराम की बाल लीलाएँ!
गोद उठा खिलाएँ लाल को,
और वात्सल्य प्रेम में खुश होतीं।
कभी पालना झुला कभी गोद उठा,
नजर भर-भर लला को निहारतीं।।
पैरों में पैजनिया पहने और बजे,
ठुमक-ठुमक चले लाल तो खुश होतीं।
घुंघराले काले -काले केश देखकर,
अपने लाल की खूब बलइयाँ लेतीं?
नजर लगे न किसी की, मेरे लाल को,
आकर माथे काला टीका लगातीं।
देखकर नटखट, शैतानी लाल की,
कौशल्या पल-पल बलिहारी जातीं!!
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर