Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2024 · 5 min read

शीर्षक – ‘शिक्षा : गुणात्मक सुधार और पुनर्मूल्यांकन की महत्ती आवश्यकता’

शीर्षक – ‘शिक्षा : गुणात्मक सुधार और पुनर्मूल्यांकन की महत्ती आवश्यकता’

परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़,सीकर राज.
पिन 332037
मो. 9001321438

शिक्षा मन के विचारों की अभिव्यक्ति को यांत्रिक या व्यवहारिक रूप से सामाजिक पृष्ठभूमि प्रदान करने का सशक्त माध्यम है। शिक्षा एक प्रणाली है। शिक्षा स्वयं से संचार करना सिखाती है। बाह्य संसार में विचारों को मूर्त रूप प्रदान करना शिक्षा का महत्त्वपूर्ण प्रयोजन है। जैसे बिना नाथ के बैल, बिना लगाम के घोड़ा,बिना अंकुश के हाथी से कोई इच्छित प्रयोजन सिद्ध नहीं कर सकते वैसे ही बिना शिक्षा के मनुष्य समाज की महत्वपूर्ण अभिलाषा तो क्या ? स्वयं के जीवन के प्रयोजन को सिद्ध नहीं कर पाता। शिक्षा मनुष्य के जीवन स्तर में सुधार ही नहीं लाती बल्कि बल्कि मनुष्य के सृष्टि में होने के प्रयोजन को भी सिद्ध करती है। जब से शिक्षा की प्रणाली का विकास हुआ है तब से लेकर आज तक शैक्षिक स्वरूप में काल की सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक, राजनैतिक, वैश्विक स्थितियों के कारण परिवर्तन होता आया है। यह प्रक्रिया अनवरत चलती रहनी चाहिए।

शिक्षा के सम्बन्ध में विद्वानों की विचारधारा और सरकारों के मत में विरोध होता रहा है। वैश्वीकरण के प्रभाव के कारण भी शिक्षा प्रभावित होती रही है।
वर्तमान में नई शिक्षा नीति 2020 में अनेक परिवर्तन किये है । सरकारी रिपोर्ट और एक्सपर्ट इसे क्रांतिकारी कदम बता रहे है, हो सकता है यह सरकारी थिंक टैंक की एक तिकड़म बाजी हो। भारत की शिक्षा के लिए वैश्विक संगठन भारत को अरबों रूपये सहायता व अनुदान दे रहे है। बदले में भारत वैश्विक आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर शिक्षा में बदलाव ला रहा है। ताकि हम वैश्विक शैक्षिक सरंचना और बौद्धिकता में पिछड़े नहीं। इसका परिणाम क्या होगा ये तो समय ही बतायेगा। परन्तु इतना तय है कि वैश्विक शैक्षिक स्तर के अनुरूप शिक्षा में बदलाव हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता के लिए कष्टदायक और विनाशकारी साबित होगी।

हमे अपनी शिक्षा प्रणाली को यहाँ की परिस्थितियों के अनुकूल विकसित करनी चाहिए। पुरातन शिक्षा और आधुनिकता में समन्वय बिठाना चाहिए। इतिहास की ऐतिहासिक घटना का आज के समाज पर प्रभाव है किंतु वो प्रभाव हम जीवित रखकर क्या हासिल कर लेंगे। मानवोचित उपलब्धि मनुष्य के चरित्र का उत्कर्ष बढ़ाने वाले गुण है। विज्ञान के अनुसंधान आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है किंतु प्राचीन ज्ञान की प्रासंगिकता को जानबूझकर मिटा देना स्वस्थ धारा कैसे हो सकती है?
विज्ञान की अनेक शाखाएं हो गई अध्ययन की सुविधा के आधार पर। किंतु व्यवहारिक प्रयोग सिखाना और समाज में प्रयोग करना नहीं सिखाते। बायोलॉजी के बच्चे को ये सिखाया दिया जाता है कि इस पौधे का वैज्ञानिक नाम क्या है, इसकी कैसी सरंचना है, इसके तत्व कौनसे है, लगभग यही बात सभी शाखाओं में होती है लेकिन वृक्षायुर्वेद/ आयुर्वेद को इसके साथ जोड़ने में क्या परेशानी है ? आयुर्वेद एक अलग विषय है ये मानकर ज्ञान के विभेदीकरण की विनाशकारी प्रक्रिया अपना ली हमने। ऐसी कई भूले हमारी शिक्षा पद्धति में है जिसे हम प्रगतिशील शिक्षा नहीं कह सकते।
शिक्षा में निजीकरण करना शिक्षा को आत्महत्या के लिए उकसाना और शिक्षकों को मृत्युदंड देना है।
शिक्षा को सेवा क्षेत्र में रखने की बजाय व्यवसाय वाले क्षेत्र में जोड़ देना चाहिए सरकार को, हम विरोध नहीं करेंगे। शिक्षक बंधुआ मजदूर बनेगा तो भी विरोध नहीं करेंगे? क्यों करेंगे विरोध बताओं, वेतन बढ़ाने के लिए,शोषण का विरोध करने, मान- सम्मान के लिए,मान सम्मान बचा ही कहाँ है शिक्षकों का अब, सरकारें मोटा पैसा लेती है निजी स्कूल संचालकों से तो उनसे बेवफाई क्यों करेगी। लोगों के पास पैसा है इसलिए पढ़ा रहे है, पढ़ाओं खूब पढ़े हमारे देश का भविष्य, दूधो नहाओं पूतो फलो। फीस निर्धारित करने वाली स्कूली स्तर पर कमेटी का कागजों में कब्रगाह बना हुआ है। निजी शिक्षकों का कोई भविष्य नहीं है। सरकार कभी नहीं सोचती है इस बारे में।
सरकारी अध्यापकों का संगठन है,निजी स्कूलों का संगठन है, अपनी मांगों के लिए सरकार को झुका देते है परन्तु निजी स्कूल के शिक्षकों का कोई सक्रिय संगठन नहीं है। व्हाट्सएप ग्रुप बहुत है ये बताने के लिए कि आपको रोजगार के लिए इस स्कूल में भटकना है आज।
धन्यवाद व्हाट्सएप ग्रुप संचालक मित्रों, हारे के सहारे आप ही है, राम जी तो है ही इस जगत में सुमिरन के लिए। आपके ही भरोसे बैठे है आप ही हमारे माई-बाप है आप कृपा बनाये रखना। सरकार की निजी शिक्षकों के प्रति अनदेखी क्रूरतापूर्ण वैसा ही कृत्य है जैसे किसी सांड को चार दिवारी में खुला छोड़कर व्यक्ति से कह दिया जाये उसमें धकेलकर कि अपनी रक्षा खुद करो। हाल ही में राजस्थान के शिक्षा मंत्री श्रीमान मदन दिलावर का वक्तव्य सामने आया उन्होंने कहा कि सरकारी और निजी स्कूलों की यूनिफॉर्म (विद्यार्थियों की गणवेश) एक समान होगी। हो जाये तो सबसे अच्छी बात है पर क्या निजी स्कूल संचालक इस बात प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे। आप ये लागू कर सकेंगे। विचार अच्छा है।

शिक्षा में अपेक्षित सुधार बिंदु –
– आयुर्वेद की वनौषधि चिकित्सा विज्ञान को कक्षा 9-10 की विज्ञान, 11-12 की बायोलॉजी में जोड़े जिससें बच्चे अपने परिवेश के पेड़- पौधों जड़ी बूटी के महत्व को समझ सकें उनका प्रयोग शरीर के सामान्य रोगों के इलाज के लिए कर सके,प्रकृति सरंक्षण भी होगा,आर्थिक बचत भी होगी।
– प्रत्येक उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयुर्वेद चिकित्सक की नियुक्ति जो पेड़ – पौधों के आयुर्वेदिक उपाय से रोगों के निदान और चिकित्सा पद्धति सीखाये। जिससें शहरों में रोगियों के दबाव को हटाया जा सके गरीबों को आर्थिक लाभ मिले।
– विज्ञान, कला,वाणिज्य संकाय के विषयों में व्यवहारिक प्रकरण जोड़े जो प्रयोज्य हो। इतिहास में घटनाओं के इतिवृत्त के स्थान पर उसकी प्रासंगिकता व प्रभाव को वर्तमान समाज से जोड़े।
– मस्तिष्क के विकास के लिए व समझ विकसित करने के लिए स्कूली स्तर पर भ्रमण कक्षा की व्यवस्था।
– प्रत्येक स्कूल में सिनेमा हॉल बनाये जिसमें प्रति सप्ताह एक कालांश हास्य कार्यक्रम दिखाने व्यवस्था जिससे मस्तिष्क में ताजगी बनी रहे।
– प्रत्येक अध्यापक को खाली कालांश में विद्यालय में शयनकक्ष सुविधा ताकि स्फूर्ति बनी रहे। अध्यापक को शिक्षण कार्य के अलावा सभी कार्यों से मुक्त रखे। प्रबंधन के कार्य न कराये, प्रबंध व प्रशासन के लिए अन्य कार्मिकों की नियुक्ति।
– निजी स्कूलों के लिए सरकारें अलग से एक आयोग स्थापित कर निजी शिक्षकों को नियुक्ति,वेतन-भत्ते दे।वेतन स्कूल संचालक स्वयं न देकर आयोग के माध्यम से वेतन मिले। बारहमासी रोजगार मिले। हटाने के उचित कारण होने पर आयोग कार्यवाही करे। आयोग के माध्यम से ही शिक्षकों की नियुक्ति हो।
– निजी स्कूलों के शिक्षकों को सरकारी स्कूल शिक्षक जैसी सुविधाएं व मान सम्मान मिले वैसा ही प्रशिक्षण हो।
– राजकीय व निजी सभी श्रेणी के विद्यालयों की यूनिफॉर्म समान हो। यूनिफॉर्म पर स्कूल का लोगो व नाम न हो। न ही स्कूल बैग स्कूल का विज्ञापन हो। बच्चों को विज्ञापन का माध्यम बनने न दे। स्कूल अपने आईडी कार्ड के सिवा कुछ भी न दे। वह आई कार्ड आधार अप्रूवल हो तथा उसकी वैद्यता तब तक हो जब बच्चा सम्बंधित विद्यालय में पढ़े।
– निजी स्कूलों में डमी बच्चों का कारोबार बढ़ रहा है इस पर सख्ती करें। बायोमेट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था हो।
– विद्यालय में मोबाइल उपयोग पर पाबंधी हो। विद्यालय फोन उपयोग करे। डिजिटल कक्षा निर्माण।
प्रत्येक ग्राम में आवासीय विद्यालय। जीवन कौशल को अनिवार्य विषय बनाये।
-प्राचीन भारतीय शिक्षा शास्त्र को अपनाये। वेद ,वेदांग, दर्शन शास्त्र का अध्ययन। मन विकास व अध्ययन की भारतीय पद्धति को अपनाये। अष्टांग योग का अध्ययन।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 60 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उस रिश्ते की उम्र लंबी होती है,
उस रिश्ते की उम्र लंबी होती है,
शेखर सिंह
*यह तो बात सही है सबको, जग से जाना होता है (हिंदी गजल)*
*यह तो बात सही है सबको, जग से जाना होता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
रेलयात्रा- एक यादगार सफ़र
रेलयात्रा- एक यादगार सफ़र
Mukesh Kumar Sonkar
सच तो हम इंसान हैं
सच तो हम इंसान हैं
Neeraj Agarwal
2629.पूर्णिका
2629.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
******
******" दो घड़ी बैठ मेरे पास ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लड़के रोते नही तो क्या उन को दर्द नही होता
लड़के रोते नही तो क्या उन को दर्द नही होता
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
दिल के दरवाज़े
दिल के दरवाज़े
Bodhisatva kastooriya
स्वामी श्रद्धानंद का हत्यारा, गांधीजी को प्यारा
स्वामी श्रद्धानंद का हत्यारा, गांधीजी को प्यारा
कवि रमेशराज
■ एक वीडियो के साथ तमाम लिंक।
■ एक वीडियो के साथ तमाम लिंक।
*प्रणय प्रभात*
पग न अब पीछे मुड़ेंगे...
पग न अब पीछे मुड़ेंगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
We become more honest and vocal when we are physically tired
We become more honest and vocal when we are physically tired
पूर्वार्थ
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
surenderpal vaidya
वो परिंदा, है कर रहा देखो
वो परिंदा, है कर रहा देखो
Shweta Soni
सौ रोग भले देह के, हों लाख कष्टपूर्ण
सौ रोग भले देह के, हों लाख कष्टपूर्ण
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सत्य मिलता कहाँ है?
सत्य मिलता कहाँ है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जब कोई साथी साथ नहीं हो
जब कोई साथी साथ नहीं हो
gurudeenverma198
हर मौहब्बत का एहसास तुझसे है।
हर मौहब्बत का एहसास तुझसे है।
Phool gufran
ऐसी थी बेख़्याली
ऐसी थी बेख़्याली
Dr fauzia Naseem shad
शेष न बचा
शेष न बचा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मुक्तक
मुक्तक
कृष्णकांत गुर्जर
अहमियत 🌹🙏
अहमियत 🌹🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
काल भैरव की उत्पत्ति के पीछे एक पौराणिक कथा भी मिलती है. कहा
काल भैरव की उत्पत्ति के पीछे एक पौराणिक कथा भी मिलती है. कहा
Shashi kala vyas
"रंग"
Dr. Kishan tandon kranti
पिता का पेंसन
पिता का पेंसन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
तुझसे यूं बिछड़ने की सज़ा, सज़ा-ए-मौत ही सही,
तुझसे यूं बिछड़ने की सज़ा, सज़ा-ए-मौत ही सही,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रभु की लीला प्रभु जाने, या जाने करतार l
प्रभु की लीला प्रभु जाने, या जाने करतार l
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
संग दीप के .......
संग दीप के .......
sushil sarna
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
Ranjeet kumar patre
सरकार बिक गई
सरकार बिक गई
साहित्य गौरव
Loading...