शीर्षक: मेरे सब कुछ पापा
शीर्षक:मेरे सब कुछ पापा
मैं अपूर्ण हूँ बिन पापा,आप संग पूर्ण थी
आप स्वरूप थे पापा,मैं आपका रूप थी।।
आप नदी समान पवित्र थे,मैं आपका जल थी
आप स्वच्छ जल थे पापा,मैं आचमन थी।।
आप गुरुर थे मेरा पापा,मैं आपकी लाज थी
आप मेरी शान थे पापा,मैं आपकी वफ़ा थी।।
आप नीव थे पापा,मैं आपकी दीवार थी
आप जज्बा थे मेरा पापा,मैं आपकी विश्वास थी।।
आप अताह समुद्र थे पापा,मैं आपकी लहर थी
आप बेबाक थे पापा, मैं आपकी चाल थी।।
आप बिछुड़ गए पापा,तब से अनाथ थी
मेरा कुसूर क्या था पापा,उसी जी तलाश थी।।
आप अजीज थे पापा,मैं दुलार थी
आप नसीब थे मेरा पापा,तलाश आपकी थी।।
जन्म से मुलाकात थी पापा,मैं नसीब वाली थी
आप बिछुड़ गए पापा,ये ऊपर वाले कि इच्छा थी
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद