शीर्षक:-मित्र वही है
✍️ मित्र वही है ✍️
समता भाव हो जागृत जिसमें चित्र वही है।
“रागी” जो दुःख हर ले सच्चा मित्र वही है ।।
प्रति-पल कर सहयोग सदा निः स्वार्थ रहे वो,
तन नास्तिक कर मन आस्तिक परमार्थ रहे वो,
खुद कर त्याग अशिष्टों का सद्भाव भरे,
हर जटिल शब्द व वाक्यों का भावार्थ रहे वो,
धरा से गगन प्रसार हो जिसका इत्र वही है।
“रागी” जो दुःख हर ले सच्चा मित्र वही है ।।
किए काम को उसके दुनियां कभी न भूले,
सदा रहे दिल मनभावन सावन के झूले,
पर संकट को बात – बात में स्वयं बांट ले,
उसका कृत उपकार यही हर दिल को छू ले;
पावन प्रीत चंचल चित्त चरित्र वही है।
“रागी” जो दुःख हर ले सच्चा मित्र वही है।।
होते गलत देख त्वरित समझावे साथी,
सर्व हृदय को परम मित्र – सा भावे साथी,
थे इक पल जो कृष्ण सुदामा मित्र रूप में;
विकल हृदय में जागृत भाव जगावे साथी।
द्वेष, दंभ, छल त्यागे जो पवित्र वही है।
“रागी” जो दुःख हर ले सच्चा मित्र वही है।।
🙏 लेखक 🙏
राधेश्याम “रागी” जी
कुशीनगर उत्तर प्रदेश से