शीर्षक – मां
शीर्षक – मां
मां कहां गई है तू
मां क्यों खो गई है तू
मुझसे मिलने कब आएगी मां
मां क्या मुझे भी अपने साथ ले जाएगी
जिस दुनियां में रहती है तू मां
क्या वहां से वापस आएगी तू मां
मां कहां है तू क्यों खो गई है तू
पास बुलाने पर क्यों नहीं आती है तू मां
क्या मुझे भूल गई है मां
क्या मुझसे रूठ गई है मां
तू तो जग जननी है न मां
हम सब तो तेरी संतानें हैं न मां
तेरे बिना ज़िंदगी अधूरी है न मां
फिर क्यों तू तेरे आंचल को ले गई है मां
मां तू करुणामई ममतामई है न
स्नेह का सागर है मां
यह सच है कि मां तू है
लेकिन सबके पास नहीं होती है
जिनके पास होती है मां
उन्हें तेरी कदर कहां होती है
मां तू प्रेम और स्नेह का अथाह सागर है
तेरे आंचल में छुपा ले मुझे
सीने से अपने एक बार लगा ले मुझे
अपनी ममता दिखा दे मुझे
_ सोनम पुनीत दुबे