शीर्षक: मधुर नेह के धागे
शीर्षक: मधुर नेह के धागे
एक धागे से बंध जाता हैं भाई-बहन का प्यार
रिश्ते चाहे हजार इससे बड़ा न कोई त्योहार
भाई की कलाई में सजता बहन का प्यार
कलाई का इससे सुंदर न कोई अलंकार
अक्षत रोली सजे माथे पर भाई का यही श्रंगार
बंधी कलाई पर तो झलकता बहन का प्यार
रिश्ता रक्त का नही जरूरी मधुर नेह के धागे को
दिखलाता आत्ममिलन व आपस के व्यवहार को
तिलक संग होता भाई की राखी का सम्मान
नही कभी करो इस पवित्र रिश्ते का अपमान
बुआ बहन सब करती धागे से भाई का सम्मान
दोनों को ही मिलता देखो आज आत्मिक सम्मान
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद