शीर्षक बादल
शीर्षक-बादल
—————
देखो-देखो बादल में काले-काले मेघा आए।
जो आसमान पर घनघोर है छाए।।
गर्जना कर बिजली कड़कती।
साथ में अपने वर्षा हे लाती ।
बादल में देखो काले मेघा आए।
तपती गर्मी को दूर भगाए ।
मौसम को सुहाना कर जाए,
धरा को पल्लवित कर जाए।
बादल गरजे, वर्षा होती,
तभी खेत लहराएं।
ये बारिश! किसान के मन को
बहुत लुभाए।।
सूरज छिपा जाता आसमान में,
अंधियारा कर देता ज़हान में ।
देख के काले बादल को,
मोर मचाते शोर।
बागों में कलियां खिल जाती,
जो मन को कर जाती भाव विभोर।।
सुषमा सिंह *उर्मि,,