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9 Jun 2022 · 1 min read

शीर्षक: पापा चिट्ठियां खो गई वो आपकी

शीर्षक: पापा चिट्ठियां खो गई वो आपकी

पापा घर छुटा आपके जाने के बाद
वो चिट्ठियां कहां खो गई पता नही चला
पैतृक संपत्ति में वे मिल जाती तो
मुझसा धनवान कोई न होता
पर न जाने कहाँ ..?
पापा चिट्ठियां खो गई वो आपकी
जिनमे लिखे थे जज्बात आपके सलीके
कुशलता की कामना से शुरू तबे सारे
आरम्भ से ही आशीष लिखा था मुझे
पर न जाने कहाँ ..?
पापा चिट्ठियां खो गई वो आपकी
विवशता देखिए मेरी वो मेंरे हाथ न लगी
मेंरी सोच से पहले ही बंट गई संपत्ति
फेंक दिए गए कागज समझ जज्बात आपके
भीड़ हो रही थी उनसे बेटो के घर मे
पर न जाने कहाँ ..?
पापा चिट्ठियां खो गई वो आपकी
कितना कुछ सिमटा था उनमे
एक नीले से कागज पर नेह आपका
वो मिल जाते तो आज भी सीने से लगाती
पर न जाने कहाँ ..?
पापा चिट्ठियां खो गई वो आपकी
और अकेले में आंखों से आंसू बहाती
मेरी ओर मां की आस थी ये चिट्ठियां
मेरा तो संबल थी आपकी वो चिट्ठियां
बेटो के लिए मोल न था उनका
पर न जाने कहाँ ..?
पापा चिट्ठियां खो गई वो आपकी
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

1 Like · 1 Comment · 132 Views
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