शीर्षक: पापा की अनुपस्थिति
शीर्षक: पापा की अनुपस्थिति
रोज लिखती हूँ शब्दो मे अपने मन के भाव
लिखती रहती हूँ बीते पलो के नाम
यादो की हिचकियां हिलोरे लेती हैं मेरे शब्दों में
कभी उदासियां लिखती है लेखनी मेरी
और लिखती मेरी लेखनी मेरे पापा की अनुपस्थिति
शब्द स्वरों में यादो की पीड़ा का भाव लिखना
बेवजह ही गुस्से का आना आपकी यादो में लिखना
टुकड़े टुकड़े समेटती सी यादो में व्याख्या लिखना
चांदनी सी शीतल यादो की बयार से शब्द लिखना
और लिखती मेरी लेखनी मेरे पापा की अनुपस्थिति
आप आएंगे स्वप्न में निरर्थक प्रयासरत लेखनी
मानो रेत पर आपकी यादो को लिखती सी लेखनी
कितनी बार मन रोता है पर चलती हैं लेखनी
बार बार समझाया मन को न मानी लेखनी
और लिखती मेरी लेखनी मेरे पापा की अनुपस्थिति
यादे उभरती है तो दुगना लिखती है लेखनी
गूंजते अंतर्मन के भाव मे भंगिमा भरती हैं लेखनी
हृदय पटल के उद्गारों को शब्दों का रूप देती हैं लेखनी
मैं खुद में आपको खोजती हूँ तो लिख डालती लेखनी
और लिखती मेरी लेखनी मेरे पापा की अनुपस्थिति
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद