शीर्षक – पानी
शीर्षक – पानी
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यादों में खोए पानी को देख सोचते हैं।
हम समुद्र और नदी के साथ रहते हैं।
पुल और किनारे पर सुकून ढुंढते हैं।
सच तो हमारे मन भावों में होता हैं।
सोच हमारी नदिया के पुल पर होती हैं।
हम तुम संग साथ चलते चलते रहते हैं।
एक-दूसरे को समझे और हम समझते हैं।
पानी के साथ साथ मन भावों में शांति सोचते हैं ।
जीवन के सच और झूठ फरेब हम रखते हैं।
पानी और नदियों के पुल और किनारे होते हैं।
जिंदगी और जीवन की सोच हमारी अपनी होती हैं।
शब्दों के साथ हमारे मन भाव में सूकुन होता हैं।
मन और विचारों के लिए पानी के पास चलते हैं।
आओ हम सभी अपने मन में सोच रखते हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र