शीर्षक – तृतीय माँ
शीर्षक – चंद्रघंटा
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प्रथम मां शैलपुत्री शक्ति हैं।
दूसरी मां ब्रह्मचारिणी हैंं।
तीसरी मां चंद्रघंटा देवी हैं।
हम सभी मां दुर्गा के रूप है।
हम सभी इंसान को जन्म देती हैं।
हम सभी संतान जन्म लेते हैं।
बस संसारिक मोह-माया में खोते हैं।
चतुर्थ मां कुष्मांडा हमें वर देती हैं।
पंचम मां स्कंदमाता संतान संग रहती हैं।
षष्ठम मां कात्यायनी देवी हम पूजते हैं।
सप्तम मां कालरात्रि भय को दूर करती हैं।
अष्टम भाव मां का महागौरी का होता हैं।
नवम मां सिद्धिदात्री कन्या पूजन करते हैं।
हम सभी संतान मां की बने संसारिक होते हैं।
बस मोह माया से मोहित आकर्षण रहते हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र