शीर्षक -तुम ही खेवनहार
शीर्षक -तुम ही खेवनहार
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असहाय छोड़कर यूँ हमको,
तुम मत जाओ भगवान।
वापस आओ तुम न जाओ,
करो जगत का तुम कल्यान !
भारत मांँ की नैया के प्रभु,
सदा ही तुम हो खेवनहार।
ऐसे कुसमय साथ न छोड़ो,
रुक जाओ! प्रभु सुनों पुकार!
जान न्योछावर तुम पर है,
मानुष बलि-बलि जाएगा।
प्रेम से तेरे चरणों में मानव,
नित -नित शीश झुकाएगा।
तुम बन जाना देव पुजारी,
करना तुम घंटों की झंकार।
हम सब मिलकर करें अर्चना,
आकर प्रभु सभी तुम्हारे द्वार।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर