शीर्षक-तुम मेरे सावन
शीर्षक-तुम मेरे सावन
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में प्यासी नदिया हूं, तुम हो मेरे सावन,
तुम ही कान्हा मेरे, दिल की धड़कन।
तेरे बिन कुछ भी रास नहीं आता –
मुश्किल से कटते मेरे रात और दिन।
अंखियां अपनी जब बंद करूं,
तुम ही नजर कान्हा आते।
पल-पल मेरी इन अंखियों में,
तेरे ही प्यारे सपने आते।
तुझको मैंने अंजाने ही में,
अपने हृदय में कान्हा सजाया।
हर -पल इक परछाई सा,
मैंने तुमको साथ है पाया!
अपनी मधुर वंशी बजा दो,
जिसमें हो जाऊं में मग्न।
तेरी प्यारी छवि देखकर,
मतवाले हो जाएं चांद गगन।
गोपी ग्वाला तुम बिन उदास,
तुम मुरली मधुर बजा दो।
सूनी गलियां तुम बिन मोहन,
तुम आकर दरश दिखा दो !!
वर्षा बनकर वंशीधर तुम,
मेरे जीवन में आ जाओ।
मैं प्यासी हूं जन्म -जन्म से,
तुम बरखा बनके बरस जाओ।
तुम ही मेरे जीवन में कान्हा,
सावन बनकर छा जाओ।
मैं हूं इक प्यासी नदिया–
तुम सागर मेरे बन जाओ!!
सुषमा सिंह*उर्मि,,