शीर्षक – जीवन पथ
शीर्षक – जीवन पथ
जीवन पथ पर तमाम दुख ,
और उस पर सिर्फ
दो आंसुओं की सहानुभूति ,
आत्मा जलती है निरंतर
अपनी ही अनुभूतियों के ताप से,
और हर जन्म में देनी पड़ती है
अपने ही प्राणों की आहुति ,
वह जो बने रहे एक आदर्श ,
जो कहते रहे हारो नहीं
और करते रहो मृत्यु पर्यंत संघर्ष ,
परंतु इतना दुख कहां सहा जाता है ,
इस जिंदगी के फिसलते आधार पर खड़े होकर ,
यह संघर्ष उस विशाल आसमान में ,
सिर्फ एक बिंदु की तरह नजर आता है ,
और जहां पर पहुंचकर यह जीवन पथ खत्म हो जाता है
लेखिका- मंजू सागर