शीर्षक: ख्यालो में पापा
शीर्षक: ख्यालो में पापा
जब भी सोती हूँ
आपकी यादो का तकिया
लगा सोती हूँ
आपके ख्यालों का तकिया
सिरहाने लगाती हूँ
बस यही सोच कि
आप आएंगे आज
ख्यालो में मेरे
आज भी मेरे
ख्यालो में मेरे पापा…
नींद आती हैं न जाने कब
मानो आप सहलाओगे
आकर मुझे स्वप्न में भी
वही ख्याल आज भी
जीवंतता लिए दोराहे पर
शायद आप आओगे स्वप्न में
ये सोच कि आज मिलन होगा
तभी तो आज भी हर दम
ख्यालो में पापा…
बेचैनियों में भी राहत मिलेगी
बस आप चले आना आज
नींद में मेरे पास
मुझे तस्सली देने कि
आप साथ है मेरे वही पहले जैसे
यही सोच आज भी नींद आती है
हर वक्त आपको साथ
अपने ही पाती हूँ मानो आप साथ है
दुःख में सुख में प्रतिपल मेरे तभी तो आज भी
ख्यालो में पापा…
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद