शीर्षक—-कोरोना का प्रहार
देशव्यापी बन चुके कोरोना संकट जैसी बीमारी ने समस्त विश्व के समक्ष स्वयं को घर मे कैद करने के अतिरिक्त हिफाज़त रखने के सिवा कोई और विकल्प नहीं छोड़ा है । अचानक आपातकाल जैसी स्थिति ने जनता को बुनियादी आधार तक सीमित कर दिया है । इस बीमारी ने एक ओर जहां विकसित और विकासशील देशों को आर्थिक रूप से विकलांग किया है, वहीं दूसरी तरफ समस्त जीव प्राणी को एकांत में रहने के लिए विवश किया है । इस खतरनाक वायरस ने एकांतवास की उस स्थिति पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां हम सब अपने इतिहास के पन्नो को पलटकर देखने व पश्चाताप करने के अतिरिक्त कुछ और नही कर सकते.
भूपेंद्र रावत