शीर्षक: कुछ कह पाती पापा
शीर्षक: कुछ कह पाती पापा
बहुत कुछ कहना था,आपसे मुझे
अब यही पछतावा साथ साये की तरह
तड़फाता हैं बार बार मुझे,झकझोरता हैं मुझे
जो कह न सकी आपसे ,वही बात कौंधती हैं मुझे
कुछ रह गया था,जो कहना था आपसे मुझे
बस रह गया पछतावा मात्र..!
बहुत कुछ कहना था,आपसे मुझे
लिखने की कोशिश करती हूँ कि शायद
उकेर पाऊँ अपने भाव शब्द रूप में
जो कहना बाकी रह गया था हमारे बीच मे
हो आमने सामने तो कहूँ दिल के जज्बात
कुछ रह गया था,जो कहना था आपसे मुझे
बस रह गया पछतावा मात्र..!
बहुत कुछ कहना था,आपसे मुझे
शब्दो मे लिखने से वह बात नही आती मुझतक
जो आपसे सामने होने पर होती थी मुझे
अब तो कलम भी अपनी ताकत नही दिखाती
जो जज्बात नही लिख पाती जो थे हमारे
कुछ रह गया था,जो कहना था आपसे मुझे
बस रह गया पछतावा मात्र..!
बहुत कुछ कहना था,आपसे मुझे
यूँ अचानक ही खामोश होना समझ नही आता मुझे
आपका अचानक चल देना समझ नही आता मुझे
आखिर कौन सी सजा दी ऊपरवाले ने मुझे
तड़फाता हैं बार बार मुझे,झकझोरता हैं मुझे
कुछ रह गया था,जो कहना था आपसे मुझे
बस रह गया पछतावा मात्र..!
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद