शीर्षक:हर मुस्कान में बसे पापा…
शीर्षक:हर मुस्कान में बसे पापा
आपको जब भी याद करती हूँ
गर्व से मानों खिल उठता है मेरा अंतर्मन
लगता हैं मेरे जीवन की किरण आप ही से है
सुबह की धूप सी चमक आप से ही हैं
हर मुस्कान में बसे पापा…
जब भी चिड़ियों की चहचहाहट सुनती हूँ
लगता हैं वो सुखद अनुभूति भी आप ही हैं
आज भी याद हैं आँगन में नीम के पेड़ की
उस पर एक चिड़िया घोसला बनाती थी
हर मुस्कान में बसे पापा…
आप मुझे समझाते थे माता पिता के कर्तव्य को
ओर सहज ही समझ आती थी आपकी वो बात
कि माता पिता संतान के आने से पहले ही उनके लिए
चिंतित होते है उनके भविष्य के बारे में सोचते है
हर मुस्कान में बसे पापा…
सुबह पेड़ों पर जब चहचहाती हैं तो आप याद आते हैं
उन चिड़ियों की चहचाहट में मानो आप सी बसे हैं
एक नई जीवन उम्मीद मुस्कान बन आती हैं चेहरे पर
वो आने वाली मुस्कराहट मानो आप ही हैं
हर मुस्कान में बसे पापा…
आपकी याद आपकी बात एक इबादत बन गई मेरी
मैने तो ईश्वर को साक्षात रूप में देखा है आपमे
हवायें मानों कोई गीत गुनगुनाती हैं कि आप साथ है
गहराई से सुनने पर जाना हवा की सनसनाहट आप हैं
हर मुस्कान में बसे पापा…
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद