शीर्षक:शब्दों का नवांकुरण
🍁 शब्दों का नवांकुरण 🍁
अपने अंतस्तल के भाव
बहुत ही सहजता से उकेरती हूँ
अपनी कलम की तीखी नोंक से
शब्द पिरोती हूँ और रंग भरती हैं कलम की स्याही
मेरे शब्दों को पंख देती है स्याही
स्याह यादों जी पीड़ा भी साफ साफ रचा देती हैं
अपनी रंगत से भावों को रंग देती हैं
मेरे साधारण से शब्द मानों हो जाते है आक्रोषित
और कह देते हैं मेरे भावों का उफान
कागज भी साथ देता है मेरी कलम का और
निभाता हैं प्रीत की गहनता तभी तो
रख पाती हूँ मैं सभी के समक्ष अपने मनःपटल
पर उकरित भावों के नवांकुर को
नव अंकुरण के लिए
मात्र आपके लिए मेरी कलम की सौगात
मेरे मनः भाव…!!
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद