शीर्षक:लिखे पर मत जाया कर
मेरे लिखे पर मत जाया कर तू
मस्त रह अपनो में हर पल तू
मेरी तो आदत है..
लेखनी उठाकर उससे
अपने गहरे दर्द कुरेदने की
मेरी तो आदत है..
टीस जब सहन नही होती तो
शब्द रूप ले लेती हैं लेखनी
मेरी तो आदत है…
खुद को ही दुख देने की
ईश्वर शक्ति दे सहन करने की
मेरी तो आदत है..
फर्क बहुत था तेरी मेरी हसियत में
सोचा नही था ये ही आड़े आएगी
मेरी तो आदत है..
आज सच में पैसे ने रंग दिखा ही दिया
मुझसे तुझ को जुदा करके ही दम लिया
मेरी तो आदत है..
खुश रह आपकी प्यारी दुनिया मे तू
मेरा क्या मैं तो मजबूर हूँ ही जीने को
मेरी तो आदत हैं..
पैसा मेरे लिए तो अहमियत नही रखता है
मैं तो बस अपनो का साथ चाहा है
मेरी तो आदत हैं..
एक साथ कंधा चाहिए था मुझे रोने को
क्या पता था बिन कंधे ही होगा रोना
मेरी तो आदत है..
आना नही था तुझको मेरी राह में
क्यो दस्तक दी मुझे अपनी चाह में
मेरी तो आदत है..