शीर्षक:रात दिवाली की
रात दीपावली की
रात दीपावली की…!
आज फिर से आई देखो रात दिवाली वाली
छूट रहे हैं घर घर पटाखे और फुलझड़ी रंगों वाली
आज अमावस रात अंधेरी घर घर खील बताशे
साथ साथ ही रंगीन रंगीन मीठे खेल खिलौने
रात दीपावली की…!
आओ मिलकर सके संग घर घर दीप जलाएंगे
कुम्हार के घर तक दीपक की रोशनी पहुंचाएंगे
करके उजाला अपने घर अंधेरे को हम भगाएंगे
इस बरस कुम्हार के घर भी दिए तक तेल पहुंचाएंगे
रात दीपावली की…!
चारों और हो जगमग जगमग मन को हरसायेंगे
रोशनी की इस आभा से गरीब का घर भी चमकाएंगे
मिलजुल कर इस बरस हम साथ दिवाली मनाएंगे
प्रेम के प्रतीक इस पर्व को सोहाद्र से हम मनाएंगे
रात दीपावली की…!
मिले मिठाई गरीब के बच्चों तक यह बीड़ा उठाएंगे
देकर फुलझड़ी हाथों उनके मुँह पर रौनक लाएंगे
कोई भी अँधेरे में न रहे यही आस मन में लाएंगे
हर तरफ हो उल्लास बस यही कामना बढ़ाएंगे
रात दीपावली की…!
हमें रोशन करने वाले के घर भी एक दीप जलाएंगे
जगमग होगा इसका घर भी तेल का दीप जलाएंगे
अच्छी संगत से हम सबको नेक राह दिखाएंगे
हर तरफ हो उजियाला बस यही मनाएंगे
रात दीपावली की…!
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद