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17 Aug 2023 · 1 min read

शीर्षक:ये ढलती सी शाम

🌔 ये ढलती सी शाम 🌔
ये ढलती सी शाम
ओढ़कर तारो भरी चुनरिया
लजाती सी अंधेरे के आगोश में चल पड़ी
मानों कह रही हैं थकान की दास्तान
ये ढलती सी शाम
पानी में डूबते सूरज की किरणें
कनक चमक बिखेरती सी रोशनी
मानों कह रही हो अपनी कीमती सी कीमतें
ये ढलती सी शाम
ओढ़ती सी सिमटती सी आगोश में निशा के
बचपन सा नजर आता हैं दिन ढलते वक्त का
मानों थककर माँ के आँचल में छिपता सा बचपन
ये ढलती सी शाम
एक होती सी मुलाकात बिछुड़े से साथी से
खुशियों रूपी तारों में चमकती सी चाँदनी
मानों शशि की चमक छिप गई अँधेरे की गोद में
ये ढलती सी शाम

डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
2 Likes · 191 Views
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