शीर्षक:माँ
१९-
लाखो गम सहेज कर
मुझे बहदुर बनाती है मेरी मां
अच्छे बुरे का फर्क
करना सिखाती हैं मेरी मां
जो मेरे लिए सारे जहां
से झगड जाती हैं मेरी मां
नाम सरोज है इसलिये
हर रोज निभाती हैं मेरी मां
कभी खफा प्यार
दुलराती है मेरी मां
इन प्यारी सी आंखो
लाखो समुंदर का पानी लिए
फिर भी मेरे चेहरे पर
मुस्कान सजाती हैं मेरी मां
खुद स्वाभिमानी है
मुझे भी स्वाभिमान
सिखाती हैं मेरी मां
मेरे मां के क़दमों में जन्नत नहीं
बल्कि खुद जन्नत है मेरी मां
सौ बार जन्म मिले
भगवान से यही गुजारिश है
कि यहीं मां मुझे हर जन्म में मिले
यहीं मेरी प्यारी मां….