शीर्षक:बीत जाते हैं दिन
: बीत जाते हैं दिन
स्त्री हूँ, जीवन दायिनी भी,मातृशक्ति भी मै
बस वायदों,इरादों में ही बीत जाते हैं दिन
सदा साथ रहती हूँ बेटी रूप,पत्नी रूप,माँ रूप में
रखती हूँ सभी का ध्यान,यूँ ही बीत जाते हैं दिन
शक्ति रूप,संघर्ष रूप,जीवन प्रदायिनी रूप भी मैं
सहन करती सभी संताप,यूँ ही बीत जाते हैं दिन
प्रकृति अनुपम रूप,ब्रह्माण्ड की धात्री रूप भी मैं
सुना सब जीवन भर,और यूँ ही बीत जाते है दिन
दर्द सहती हुई ,फिर भी शांत,खुशियां बिखेरती मैं
गमो को धता बताती मैं, यूँ ही बीत जाते हैं दिन
परिवार में मुस्कान फैलती ,खिलखिलाती हूँ मैं
मुश्किलों में मुस्कुराते हुए यूँ ही बीत जाते हैं दिन
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद