शीर्षक:प्रीत का बंधन
अनजाने ही सही पर बँधे हम बंधन में
एक दूसरे के पूरक बन साथ साथ चलने को
हमारे नेह का धागा इतना मजबूत कि कोई
बन्धन को तोड़ नही सकतागूढ़ बंधन
मानो दुख रूपी गांठ भी जुदा न कर सके
प्रीत की डोर के छोर को हम मजबूत किये हुए
अनजाने ही सही पर बँधे हम बंधन में
एक दूसरे के पूरक बन साथ साथ चलने को
चल रहे है जीवन डगर पर साथ साथ
बंधन इतना प्रगाढ़ कि कोई घटना हिला न सके
प्रीत के बंधन ऐसे बंधे हम कि एकाकार हो गए
शरीर जुदा पर मन से एक हो चले
अनजाने ही सही पर बँधे हम बंधन में
एक दूसरे के पूरक बन साथ साथ चलने को
आज अपनी एक प्यारी सी दुनिया रचाई हमने
बच्चे को पाकर खुशियां मनाई हमने
अद्भुत से सुख को पाकर निहाल हुए मानो
धरती के सभी सुख मिले हो झोली में अपने
अनजाने ही सही पर बँधे हम बंधन में
एक दूसरे के पूरक बन साथ साथ चलने को
एक दूसरे को संभालते चले हम साथ साथ
दो से तीन बन सम्बल एक दूसरे का
खुशियो के अनगिनत उपहार मानो मिले हो
मानो हमारे सारे कष्ट खुशियो में बदल गए हो
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद