शीर्षक:पापा हमेशा कहते थे
पापा हमेशा कहते थे…
अब उठा ले लेखनी शब्दों को रूप दे
कागज और कलम के मिलन को सौप दे
अब शब्दो से अपने काव्य में प्राण भर दे
तेरा तो हर अक्षर शब्दो मे प्राण भर दे
पापा हमेशा कहते थे…
अब उठा अपनी लेखनी को चला दे
अपने शब्दों को दे नया आयाम अब तू दे
अब मचा हुआ तूफान से हर ओर रोक दे
हर प्रश्न के उत्तर को तू अब नया आयाम दे
पापा हमेशा कहते थे…
अब उठा लेखनी शब्दो मे भावों को भर दे
सम्पूर्ण रसों को डाल तू लेखनी भावों से भर दे
तू सही गलत की परत को उतार कर रख दे
शब्दों से मिटा अब घटा संदेह भरी रोशनी दे
पापा हमेशा कहते थे…
अपने छन्दों से शब्द गति का भाव भर दे
सुर, लय-ताल को मिले सही यति यही कर दे
सही भावों की तू करुणा अब लिख दे
कहीं नदियों में तू कलकल अब लिख ही दे
पापा हमेशा कहते थे…
चल अब रच दे ऐसा तू अमर काव्य कर दे
बन जाए कोई अमर महाकाव्य आहुति दे
जब भी कोई इतिहास दोहराएगा काव्य रस भर दे
बस तेरा लिखा ही गाया जायेगा काव्य भाव ये भर दे
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद