शीर्षक:पापा संग खुशियां अपार
शीर्षक:पापा संग खुशियां अपार
पापा आप संग खुशियां मिलती थी
खुशियां अपार,प्यार मिलता था अपार
आप साक्षात थे तो सुकून मिलता था अपार
आपसे तो मुझे तब मिलता था भरपूर दुलार
पापा संग खुशियां थी मेरी अपार
बस पापा का प्यार था संग नही थी कोई चाह
सारी खुशी मिल जाती थी पापा संग हर राह
जब मिलता था पापा का प्यार सरे राह
मेरे होठों को हंसी मिलती थी हर क्षण वहाँ
पापा संग खुशियां थी मेरी अपार
मेरी पहचान मेरे पिता की वजह से थी
पापा आप मेरा वो गुरूर हुआ करते थे
कोई नहीं तोड़ सकता वो नाता हुआ करते थे
आप मेरी जीवन के खेवनहार हुआ करते थे
पापा संग खुशियां थी मेरी अपार
पूरी करते हर मेरी इच्छा जो भी होती थी
आप जैसा नहीं कोई ओर कभी हुआ ही नही
मुझे दुलारते मेरे पापा स्नेह से डाँटते तो कभी नही
मेरे प्यारे प्यारे पापा सिर्फ मेरे किसी ओर के नही
पापा संग खुशियां थी मेरी अपार
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद