शीर्षक:पापा शायद मुझे करार आए
शीर्षक:पापा शायद मुझे करार आए
आपकी यादो की झकझोर शब्दो मे उतार पाऊं तो
आपकी यादो को झकझोर शब्दोद्गार कर पाऊं तो
थोड़ा भूली बिसरी यादो को खुद में संजो पाऊं तो
पापा शायद मुझे करार आए…
अपनी धुन में जीती में जिंदगी आपको याद कर पाऊं तो
कुछ वो बाते जो आप संग हुई उनमे खो पाऊँ तो
कुछ सफर जीवन का चली आप संग यादे बना पाऊँ तो
पापा शायद मुझे करार आए…
आपके मुस्कुराते चेहरे को हमेशा यादो में देख पाऊँ तो
थोड़ा मुस्कुरा लूँ आओ संग बातो को याद कर पाऊँ तो
वो रूठना मेरा आपका मनाना यादो में संजो पाऊँ तो
पापा शायद मुझे करार आए…
मुझ संग खेल खेलना आपका मैं दिल मे बसा पाऊँ तो
अपनी जिद को आज भी आप सी ही मनवा पाऊँ तो
घर जाकर आज भी आपसा प्यार मैं पाऊँ तो
पापा शायद मुझे करार आए
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद