शीर्षक:पापा जवाब दो
पापा क्या आप मेरी एक बात का जवाब देंगे
क्या वो भी आपको कभी दहेज देंगे
क्या जुर्म हैं आपका कि मैं बेटी हूँ
क्या उनको हक हैं बेटा बेचने का
क्यो करूँ उससे मैं शादी जो
खुद को बिकने के लिए है तैयार
क्या करेगा वो मेरी रक्षा जो
खुद ही बिक गया आज आपके हाथ
जीवन भर आपने जोड़ा मेहनत से
क्या हक हैं उसको आपके पैसों से बिकने का
आपने भी मुझको उतना ही शिक्षित किया
क्या उसको ही हक हैं बस बिकने का
तोड़ दीजिए अब पुरानी रीत को
नही खरीदना अब दूल्हा मुझको
क्यो न मैं भी बुढ़ापे का सहारा बनू
पैरों अपने खड़े हो आसरा बुढ़ापे का बनू
आत्मनिर्भर में भी हूं तो क्यो खरीदार बनू
खुद की कीमत पहचान उसको बताऊं
बेटी हूँ तो क्या कम हूं उससे
बस ये ही प्रश्न उससे बारबार करूँ
कौन सी शिक्षा ली उसने जो बिकने को आया
अपने आप से कमाना क्यो नही आया
मैं शादी नही करुँगी किसी भी कीमत पर
जो आज बिकाऊ खड़ा है आपके दर पर
अपने संस्कार को अपनाएगा जो और
समाज के सामने बिकेगा नही जो
आपकी आबरू को समझेगा जो यदि मिलेगा नही
वैसा तो शादी नही करुँगी मैं खरीदार नही हूं मैं
साथी बन जो आएगा उनको अपनाउंगी मैं
तभी शादी को हाँ कर पाऊँगी मैं
हाँ कर पाऊँगी मैं
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद