शीर्षक:पापा के स्नेह की छांव
शीर्षक:पापा के स्नेह की छांव
रखी आपने सदैव ही आने नेह की छांव
दुखों की सारी तपन झेल ली अपबे आप
आंच नही आने दी कभी मुझ तक आपने
साथ रही मेरे सदा पापा के स्नेह की छांव।
खुश रहे तू सदा यही बोल आशीष देते थे सदा
मेरी हर चाहत को अपनी चाहत मानते सदा
कहते कि मेरी तो तू जिंदगी रहेगी सदा
साथ रही मेरे सदा पापा के स्नेह की छांव।
खुश रहूँ मैं सदा ये ही आशीष था उनका
अपने गम भुला मेरे सामने खुश रहते थे सदा
सिर पर नेह का साया रखा सदा
साथ रही मेरे सदा पापा के स्नेह की छांव।
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद