शीर्षक:पापा के दिए पंख
शीर्षक:पापा के दिए पंख
ऊँची उड़ान भर खोल ख्वाबों के पंख अपने
ख्वाबो का आसमान तेरा बस खोल पंख अपने
बोलते थे पापा स्वयं भर उड़ान कर पूरे सपने अपने
खोलेगी ख्वाबो के पंख जितने पूर्ण होंगे सपने अपने।
ऊँचे उड़ना चाहते है सभी पूरे करने सपने
कौन नही चाहेगा पंख फैला भर उड़ान करने पूरे सपने
मैं तुझको देता हूँ आजादी पंख फैला कर पूरे मेरे सपने
खोलेगी ख्वाबो के पंख जितने पूर्ण होंगे सपने अपने
खोलो सकारात्मकता के पंख मिलेगी मंजिल जरूर
पापा को मुझपर न जाने क्यों था इतना गुरुर
मुझमे भर दिया उन्होंने पंख फैलाने का सुरूर
खोलेगी ख्वाबो के पंख जितने पूर्ण होंगे सपने अपने
जानता नही जमाना बेटियों की ताकत बोलते थे पापा
खोल तो पंख अपने आलिंगन करेगा आसमान
पूर्ण होंगी आशाएं मन की भावनाएं व इच्छाए
खोलेगी ख्वाबो के पंख जितने पूर्ण होंगे सपने अपने
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद