शीर्षक:दोस्ती एक प्यारा सा रिश्ता
शीर्षक:दोस्ती एक प्यारा सा रिश्ता
ये अजीब रिश्ता किस्मत वालो को मिलता है
रूखी सी जीवन यात्रा में,रस प्रेम,का मिलाता हैं।
जो मिलता जब,होता था बिल्कुल अनजान
पर साथ रहकर न जाने कब बन जाता जान।
कुछ मस्त दोस्त मिले,कुछ पढ़ने वाले साथ चले
कुछ चाय पर मिले कुछ नोट्स बनाने साथ चले।
कुछ ने साथ मे खाई गालियां कुछ ने दिलवाई
कुछ ने तो साथ दिया कुछ में मार भी लगवाई।
कैसे भी हो दोस्त पर दोस्ती खूब निभाई
अपनो की दूरी की भी कर दी इन्होंने भरपाई।
कुछ भुक्कड़ फ्रीवमे शादियों में खा आये
कुछ मेरे संग बनवाकर कहना खिलवाने आये।
कुछ दोस्त दिल की गहराई से बने
कुछ काम निकाल कर चलते भी बने।
कुछ रोने में भी साथ रहे हँसने में साथ दिया
तभी उनको दिल से जीवन का हिस्सा बना दिया
कुछ तो कभी रुठ गए कभी मुझे मना गए
कुछ देख स्वयं का फायदा पीछे से निकल गए।
जीवन मे अब भी जरूरत पर वो साथ खड़े मिले
आज भी उसी शिद्दत से दोस्ती रखते खड़े मिले।
दोस्ती महज कहानी नही पूरी भारी किताब बनी
मेरे दोस्तो की तो मेरे लिए देखो लगी कतार बनी
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद