शीर्षक:दुश्मनी
विषय:दुश्मनी
बहुत कुछ कह देती है अक्सर
चुप रहकर भी चूप्पी तेरी
दुश्मनी से भी ज्यादा मुझे
दुख देती हैं ये चूप्पी तेरी।
“लिखे” से भी ज्यादा
कह देना चाहती हूँ तुझे
वो “लिखने से बची हुई
जो पंक्तियां मेरी तेरे लिए।
आधी अधूरी सी कविता”
तेरी दुश्मनी झलकाती सी
क्या करूँ तू ही बता अब
क्यो किया तूने ऐसा।
क्या कमी दिखी तुझे मेरे
दिली प्यार में क्यो घाव दिए
तूने प्यार में दुश्मनी करके
आखिर कट कमी रही मेरी।
कभी तो बताया होता
जाने से पहले एक बार
क्यो आये इतने करीब कि
अब तो सहन न हो पाए।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद
.. चुपचाप
संवाद करते हुए
सम्मुख खड़ी हो जाती है
सभी जवाबों के साथ
निशब्दता से !!