शीर्षक:तेरा ही अंश हूँ माँ
१५-
माँ मुझे बोझ मत समझो मैं भी अंश तुम्हारा हूँ
अजन्मा ही मत मारो मुझको मैं भी खून तुम्हारा हूँ
माँ हो मेरी फिर साथ क्यो देती हत्यारो का
ताकत से तुम सामना करो,मेरे इन हत्यारो का।
अपनी ताकत से ही मैं नाम तुम्हारा रोशन कर जाऊंगी
मुझको जन्म दो एक बार नाम तुम्हारा कर दिखाउंगी
मैं तो तेरी जान हूँ माँ अपने से जुदा मत होने दे
तेरा ही खून हूँ मैं, माँ मुझे भी जीने का हक दे।
मैं बोझ नही बनूंगी तुझ पर माँ,मेरा विश्वास तो कर
वादा आज ये करती हूँ,मैं स्वयं की राह बनाउंगी
बस एक बार जन्म दे दे माँ, तेरा सहारा बन जाऊंगी
बेटे से भी ज्यादा तुझ पर प्यार मैं अपना लुटाऊंगी।
बहुत अच्छे खाने की चाह नही मेरी बस
रुखा सूखा दे बड़ा कर देना,बस जन्म दे देना
संग तेरे हर दुख में परछाई बन खड़ी रहूँगी
कोख में मत मारो मुझको बस अहसान मानूँगी।
माँ बेटे की चाह में ये दुशकृत्य क्यो करती हो
मैं भी तेरा खून हूँ माँ, फिर दुराचार क्यो करती हो
बेटी नही जन्मोगी तो कन्यादान कैसे कर पाओगी
अपने प्यारे बेटे को बहु कहाँ से लेकर आओगी।
क्यो माँ होकर हत्यारिन बनती हो,हिम्मत करो
उठो सामना करो लोगो का,ललकारो हत्यारो को
माँ दुर्गा को पूजती हो नवरात्रों में तुम तो
उन्ही का अंश हूँ मैं भी क्यो ये भूल जाती तुम।
आज नही बोलोगी तो कभी माफ नही कर पाओगी
जीवन भर पछताओगी तो फिर ये पाप नही धो पाओगी
मेरी दुनिया बसने से पहले ही न उजाड़ो माँ
यूँ मुझे कोख में ही मत मारो मेरी माँ।
तेरी सेवा को हर दुख में मैं ही काम आऊंगी माँ
उठ चल सामना कर अब तेरा ही सहारा मुझको माँ
भाई को राखी बांध अपने सब फर्ज निभाउंगी
यूँ मुझे कोख में ही मत मारो मेरी माँ मैं कर्ज चुकाउंगी।
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद