शीर्षक:तडफ़ माँ के प्यार की
तड़फ माँ के प्यार की रहेगी ताउम्र…
कभी भरपाई न हो पाएगी उस नेह की
आज भी मानो प्रसारित होता है माँ का प्रेम
मानो आज भी माँ प्रतिपल रहती हो साथ मेरे
उनकी प्रीत आज भी यादो में ताजा हैं
तड़फ माँ के प्यार की रहेगी ताउम्र…
आज भी उनकी प्रीत यादो में मानो
नव पुष्पित पुष्पों से पराग की सुगंध सी हैं
मन आज भी द्रवित हो जाता हैं यादो में याद कर
मन के किसी कोने में दबी हैं सभी यादे
तड़फ माँ के प्यार की रहेगी ताउम्र…
यादो के अंतर्दाह की ऊष्ण बैचनी को बढ़ा देती हैं
और फिर संचारित होता हैं बीती बातो का दौर
माँ के नेह की निर्मल धारा यादो में बसी हैं
तड़फ माँ के प्यार की रहेगी ताउम्र…
माँ के नेह की शीतलता मानो अभिशिप्त सी हुई
यादो की धधकती ज्वाला रोने को मजबूर करती
स्वयं को दग्ध होती देख उभरने का प्रयास करती
संवेदनाओं के छोड़ माँ को याद करती हुँ
तड़फ माँ के प्यार की रहेगी ताउम्र
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद