शीर्षक:चतुर्थ दिवस
चतुर्थ दिवस
🙏मां दुर्गा का चौथा रूप ‘कूष्मांडा’🙏
नवरात्र के चौथे दिन दुर्गाजी के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा और अर्चना की जाती है। मान्यता हैं कि इस दिन माँ के इस रूप की पुजा अर्चना से मनोकामना पूर्ण होती हैं।माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों ओर अंधकार था तो मां दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी कारण उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है। सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति नाम से भी अभिहित किया जाता है। इनकी आठ भुजाएं हैं और ये सिंह पर सवार हैं।तभी माँ शेर पर सवार ही होती है। सात हाथों में चक्र, गदा, धनुष, कमण्डल, कलश, बाण और कमल है।माँ सभी की मनोकामनायें पूर्ण करे ये ही माँ से प्रार्थना करती हूँ और सभी ओर से व सभी माँ की कृपा बनी रहे।
सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।
अमृत से परिपूरित कलश को धारण करने वाली और कमलपुष्प से युक्त तेजोमय मां कूष्मांडा हमारे सब कार्यों में शुभदायी सिद्ध हो,सभी का भला हो सभी आपके आशीष से सुखी रहें।आपके आशीष की छत्रछाया में पलित आपकी लाडली बिटिया
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद