शीर्षक:काश ! आप सुन पाते पापा
शीर्षक:काश ! आप सुन पाते पापा
काश कि आप तक पहुंच जाती मेरी
कराहने की आवाज
काश आप सुन पाते मेरे दर्द की पीड़ा का अहसास
पर आप तो चले गए अपने लोक
वहाँ तो आवाज नही जाती मेरी
काश कि आप तक पहुंच जाती.!!
काश कि आप तक पहुंच जाती मेरी
कराहने की आवाज
मैं चीख चीख कर पुकारती रही आपको
और आप चुप लेटे रहे खामोश
मेरी आहट मात्र से ही सचेत हो जाने वाले
काश कि आप तक पहुंच जाती.!!
काश कि आप तक पहुंच जाती मेरी
कराहने की आवाज
मेरे पापा न जाने क्यों मुझे अनसुना कर गए
यूँ छोड़ गए जैसे जानते ही नही थे
मानो मैं पत्थर की बनी हूँ सह जाऊंगी
काश कि आप तक पहुंच जाती.!!
काश कि आप तक पहुंच जाती मेरी
कराहने की आवाज
आपके जाने का,जुदा होने का दर्द
माँ तो बोली थी यही कि तेरे निवेदन को मानेगे
उठाकर देख उठ जाएगी चिरनिंद्रा से
काश कि आप तक पहुंच जाती.!!
काश कि आप तक पहुंच जाती मेरी
कराहने की आवाज
पर आप बेखबर बेसुध से लेटे रहे
मानो आपको चैन की नींद आ गई हो
हमे बिलखता देख भी चेत नही रहे थे
काश कि आप तक पहुंच जाती.!!
आखिर क्यों पापा..?
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद