शीर्षक:कमाल लेखनी का
शीर्षक:कमाल लेखनी का
मेरी लेखनी के रूप देखो कैसे कैसे सजते हैं
कवि के हाथ आये तो शब्दरूप ले बयां होती हैं
उसके भीतर के जज्बात कागज पर उकेर देती हैं
हूबहू जो मैं कहना चाहती लेखिका लिख देती हैं
इतिहास को पटल पर रख सामने सभी के
अतीत के पन्ने पलटती स्वयं का रूप दिखाती हैं
वैसे ही जैसे काल का ग्रास बना हो समय
उसी रूप में समक्ष प्रस्तुत करती नजर आती है
अफसरों के जेबों में आ जाये तो
लिखती है कमाल वही जो चाहे सिर्फ वही
गलत या सही जैसे उसको दी जाती है धार
अफसर की कलम देखो कैसे कैसे चलती हैं
प्रेमी से हाथ आये तो उसका इश्क लिखती है
इश्क़ के प्रेमपत्रों को देती जान शब्दो मे प्राण
करती है प्रेमिका को लालायित प्रेम जाल के लिए
युगल को देती सम्बल पत्र रूप में शब्दों के द्वारा
देश के दीवानों के हाथ आये तो लिख जाती हैं
वीरो की शहादत अपनी नुकीली नोंक की धार से
कह जाती हैं वीरो जी गाथा अमर करती व्यथा
कह देती हैं इंकलाब माँ भारती को प्यार,बलिदान
शिक्षक के हाथ आये तो बनाती भविष्य देश का
नोनिहालों को संवारती देश की खातिर
लिख देती है भविष्य छात्र का शिक्षक रूप में
देखो मेरी कलम करती हैं कमाल हर क्षेत्र में
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद