शीर्षक:कतरा कतरा तरसते जीवन देने वाले
शीर्षक:कतरा कतरा तरसते जीवन देने वाले
कतरा कतरा तरसते जीवन देने वाले
आज बदल गया जमाना सारा
शायद सोच भी हम सबकी
पहले जमाने मे स्कूली शिक्षा सभी तक नही थी
पर समझ कूट कूट कर भरी थी
कतरा कतरा तरसते जीवन देने वाले
रिश्तों में दुनियां थी उनकी
एक दूसरे के साथ जीवन सा जुड़ाव था
माँ के चरणों मे स्वर्ग होता था आज
माँ में चरण अपवित्र होते जा रहे हैं
कतरा कतरा तरसते जीवन देने वाले
पिता जहां ईश्वर रूप होता था आज सिर्फ और सिर्फ
पैसे की मशीन मात्र ही रह गया हैं
आदर कूट कूट कर भरा था बड़ो के लिए
आज बदल गया उन सब का रूप
कतरा कतरा तरसते जीवन देने वाले
आज रिश्तों पर भारी हो गया पैसा
बाकी सब बेकार सा लगने लगा
जो माँ बच्चे की खुशी के लिए रोती थी
वही आज बच्चों के द्वारा दिये दुख से रोटी हैं
कतरा कतरा तरसते जीवन देने वाले
आज ह्रदय से भाव मर गए है
जिंदा रखे हैं तो अपने सपने अपनी खुशी
न जाने कहाँ रख भूले हम अपने संस्कार
बस सपनो का चूना व्यापार
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद