शीर्षक:इबादत
इबादत
इबादत करने आई हूँ माँ तेरे दर पे आई हूँ
झुकाकर शीश चरणों में तेरे मंदिर में आई हूँ
करना कल्याण माँ मेरा यही अरदास लाई हूँ
इबादत तेरे द्वारे माँ, मैं लेकर आज आई हूँ
लम्बा रास्ता पार कर तेरी बेटी माँ आई हैं
तेरी पूजा तेरी अर्चना करने तेरी बेटी आई है
स्वीकार कर इबादत बेटी दरकार लेकर आई हैं
इबादत तेरे द्वारे माँ, मैं लेकर आज आई हूँ
महिमा तेरी कण कण में यही स्वीकारने आई हूँ
बसा है झूठ रग रग में उसी को मिटाने आई हूँ
करेगी माँ कल्याण मेरा यही इबादत करने आई हूँ
इबादत तेरे द्वारे माँ, मैं लेकर आज आई हूँ
शरण अपनी लगा ले माँ तुझे मन सौपने आई हूँ
मन से पाप मिटा दे माँ यही बस सोचकर आई हूँ
लगे भक्ति में मन मेरा यही उद्धार कराने आई हूँ
इबादत तेरे द्वारे माँ, मैं लेकर आज आई हूँ
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद