शीर्षक:आज बिन माँ मेरा मातृ दिवस…….
आज बिन माँ मेरा मातृ दिवस…….
शब्द नहीं मेरे पास कंरू जिन शब्दों को
रच कर उस पवित्र आत्मा का गुण गान!!
कितनी पंक्तियों में करूं बखान
जितना लिखूँ वो सब अदना हैं
वो होती ही है इतनी महान
कोई हैं ही नही मेरी माँ के समान
माँ की तो मैं ऋणी सदा हूँ
चाहे मिले जन्म हजार नही मुमकिन
सब माँ बिन मातृशक्ति मेरी महान
क्या एक दिवस मना मातृदिवस होगा अदा ऋण
कितने ले लो जन्म ऋणी रहोगे माँ के तुम
माँ के ममत्व का कभी नही कर सकोगे भुगतान
तभी तो माँ शब्दशक्ति हैं इतनी महान
८ मई ही क्यों मेरा तो हर दिन उनकी
कर्जदार उनको समर्पित है मेरे हर पल हर क्षण
करूँ उनका मान बस उनके नाम!
मैं करती नित्य नत मस्तक होकर दिन की शुरूआत
मन के अंतस्तल में है मेरे वो विराजमान
नित नित प्रणाम मेरी माँ को नित नित प्रणाम
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद