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27 Dec 2020 · 1 min read

शिशिर की रात

कुण्डलिया

यादें मधुरिम ओढ़ कर, गई शिशिर की रात।
सपनों की तकिया तले,बिखर गये जज्बात।।
बिखर गये जज्बात,जमी हिमकण की परतें।
मन के गीले घाव,नहीं जो ऐसे भरतें।
बहे अश्रु दिन रात, नयन जल थमने ना दें।
दिल में लिया समेट,न जाने कितनी यादें ।।

लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

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