शिव
ईश्वर रूप में पूजे जाते
त्रिनेत्र धारी कहलाते।
जटा से बहती गंगा मैया
सूखे को शीतल कर जाती।
दूध , फल , धतूरा बेलपत्र
तुमको है प्यारे |
कँवरियों के तुम रखवाले
देते हो भांग के प्याले
डम-डम डमरू बजाकर
तांडव तुम कर जाते ।
मंथन में विष का प्याला पीकर
देवताओं की रक्षा कर जाते ।
जल की धारा से नहलाए जाते
रुद्राअभिषेक की प्रक्रिया कहलवाते।
पक्षी बनकर नीलकंठ
भगवान तुम हो कहलाते।
ॐ मंत्र के उच्चारण से
घर मंदिर को पवित्र बनाते।
कैलाश पर बैठे पार्वती संग
शिवरात्रि में पूजे जाते॥
स्वरचित एवं मौलिक- डॉ. वैशाली.A वर्मा✍🏻😇