शिव संगीत
सांसों संग बहता है,
धड़कन स्पन्दन है,
चेतना का सार तत्व,
मन का आलम्बन है,
बुद्धि से परे है,
भाषा में बंधा नही,
शब्दों में गढा नही,
ध्वनि है अनन्त की,
अनगिनत ऊर्जाएं,
जटा में लिये ़
फिरता है,
शक्ति का आधार है,
डमरू सा बजता है,
सर्प कण्ठ हार है,
रोक ले हलाहल को,
हाथ में त्रिशूल लिये,
महायोग करता है,
कण कण में व्याप्त है,
भीतर शिव प्राप्त है|