Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Mar 2017 · 1 min read

शिव शंकर जी खेले होली

?????
शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
?
तीन नयन मस्तक पर
चमक रहें हैं अर्ध चंद्र।
लट बिखरी खुली जटा
सिर से छलक रहें गंग।
?
शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
?
गले में डोले मुंड माला
फूफकार रहे हैं भुजंग।
तन पर भस्म रमाये शिव
वीभत्स भेष बड़ा अभंग।
?
शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
?
मिट्टी, राख,रेत लपेटे
अबीर,गुलाल लगे हैं अंग।
छेड़े सताये रंग लगाये
मैया पार्वती को करे तंग
?
शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
?
पार्वती की गाल गुलाबी
कोरी चुनरिया भई सुरंग।
कार्तिक गणेश गोद लिये
मन में प्रीत भरी उमंग।
?
शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
?
भूत पिशाच शोर मचाये
बसहा नंदी करे हुड़दंग।
बौरये हैं खा के धतुरा
शिव जी झूमे पीके भंग।
?
शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
?
डमडम डमरू बजाये शिव
देवी-देवता बजाये मृदंग।
चौसठ योगिनी नाच रही
शिव शंकर जी हुये मलंग।
?
शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग
?
दशों दिशाएं झूम उठे
प्रकृति हुआ रंग बिरंग।
महक उठा मन फागुनी
बहक उठा है वसंत।
?
शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
?
जड़ चेतन सुखमय हुआ
तृप्त हुआ आदि अनंत।
ऋषि मुनी हुए मतवाला
सम्पूर्ण देवलोक हैं दंग।
?
शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
????—लक्ष्मी सिंह ??

828 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
बाढ़ और इंसान।
बाढ़ और इंसान।
Buddha Prakash
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
manjula chauhan
ये पीढ कैसी ;
ये पीढ कैसी ;
Dr.Pratibha Prakash
मां कालरात्रि
मां कालरात्रि
Mukesh Kumar Sonkar
शहरी हो जरूर तुम,
शहरी हो जरूर तुम,
Dr. Man Mohan Krishna
हुनर
हुनर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*याद तुम्हारी*
*याद तुम्हारी*
Poonam Matia
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
Sanjay ' शून्य'
"ऐसा करें कुछ"
Dr. Kishan tandon kranti
सोच के रास्ते
सोच के रास्ते
Dr fauzia Naseem shad
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
**विकास**
**विकास**
Awadhesh Kumar Singh
हम खुद से प्यार करते हैं
हम खुद से प्यार करते हैं
ruby kumari
त्याग समर्पण न रहे, टूट ते परिवार।
त्याग समर्पण न रहे, टूट ते परिवार।
Anil chobisa
आदमी बेकार होता जा रहा है
आदमी बेकार होता जा रहा है
हरवंश हृदय
पड़ोसन की ‘मी टू’ (व्यंग्य कहानी)
पड़ोसन की ‘मी टू’ (व्यंग्य कहानी)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"कहानी मेरी अभी ख़त्म नही
पूर्वार्थ
टूटा हूँ इतना कि जुड़ने का मन नही करता,
टूटा हूँ इतना कि जुड़ने का मन नही करता,
Vishal babu (vishu)
हिंदुस्तानी है हम सारे
हिंदुस्तानी है हम सारे
Manjhii Masti
3155.*पूर्णिका*
3155.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Dictatorship in guise of Democracy ?
Dictatorship in guise of Democracy ?
Shyam Sundar Subramanian
कुछ चूहे थे मस्त बडे
कुछ चूहे थे मस्त बडे
Vindhya Prakash Mishra
दूरियां ये जन्मों की, क्षण में पलकें मिटातीं है।
दूरियां ये जन्मों की, क्षण में पलकें मिटातीं है।
Manisha Manjari
मिले
मिले
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
*कोटि-कोटि हे जय गणपति हे, जय जय देव गणेश (गीतिका)*
*कोटि-कोटि हे जय गणपति हे, जय जय देव गणेश (गीतिका)*
Ravi Prakash
प्रभु के प्रति रहें कृतज्ञ
प्रभु के प्रति रहें कृतज्ञ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
विषय:गुलाब
विषय:गुलाब
Harminder Kaur
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मुस्कानों की परिभाषाएँ
मुस्कानों की परिभाषाएँ
Shyam Tiwari
संगीत
संगीत
Vedha Singh
Loading...